I created this blog to express my own views & thinking. I wanna discuss various social, political & sports issues with you & specialy those issues that relate to our mentality. I also wanna debate on some basic issues that considered relatively less important......................
Dec 31, 2012
"दामिनी" कहूँ या "अमानत" मुझे पता नहीं!
अब इसी
बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि हम(मैं और आप सभी) उसके बारे में कितना जानते
हैं, जिसके लिए हम पिछले दो हफ्तों से दुआऐं माँग रहे हैं और उसके दोषियों के लिए
सजा-ए-मौत की जोरदार आवाज उठा रहे हैं। यदि जानते भी हैं तो उसे गुप्त रख रहे हैं
क्योंकि हम ये मानते हैं कि उसकी "इज्जत" लूट ली गई है। अब,
जब वह इस दुनिया में नहीं है, तब भी उसकी, उसके परिवार की एवं उसके दोस्त की पहचान
सार्वजनिक नहीं की जाएगी क्योंकि हमारे कानून में भी यही दस्तूर है। क्यूं हमेशा
लड़की को ही यह जिल्लत झेलनी पड़ती है???...कैसी विडंबना है, कि एक आदमी नापाक इरादों
के साथ किसी महिला की इज्जत लूटने की मंशा से उसके साथ कुछ नीच एवं गिरी हुई
हरकतें करता है और हम भी मान लेते हैं कि उस महिला की इज्जत लुट गई है। यह मानकर
हम उस अपराधी का साथ देते हैं तथा इस तरह से हम और हमारा समाज भी बलात्कारी बन
जाता हैं। जिसने अपनी नामर्दगी का प्रदर्शन किया वह तो मर्द हो गया और एक बेगुनाह की
पहचान छीन ली जाती है। आखिर क्यों???...अभी कुछ दिनों पहले सुनीता नाम की एक
महिला ने एक न्यूज चैनल पर एक प्रोग्राम में बताया कि दश साल पहले, पंद्रह वर्ष की
उम्र में उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया गया था। उसने अपनी आपबीती, पहचान के साथ
पूरे देश के सामने रखी। मैं उसके इस जज्बे को सलाम करता हूँ। लेकिन सोचने वाली बात
है कि आखिर उसे यह जरूरत क्यों पड़ी?...क्योंकि समाज ने उसे गुमनामी के अंधेरे
में धकेल दिया था जिस तरह से हम अभी तक ना जाने कितने ही अपनों को भुला चुके हैं....
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment