Sep 10, 2012


तथाकथित आरक्षण

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कैबिनेट ने सरकारी नौकरियों में प्रमोशन में आरक्षण के बिल को मंजूरी दे दी है। हलांकि कोल ब्लॉक आवंटन के हंगामे के कारण यह बिल संसद में पारित नहीं हो पाया।
क्या वाकई इस आरक्षण से कुछ फायदा होने वाला है???.....क्या यह आरक्षण हमारे देश को प्रगति के रास्ते पर अग्रसर करेगा???.....क्या यह देश की अर्थव्यवस्था में क्रांतिकारी परिवर्तन लाएगा???.....क्या इससे देश में व्याप्त सामाजिक, आर्थिक भेदभाव खत्म होगा???.....
मैं इन प्रश्नों को इसलिए उठा रहा हूं क्योंकि मैं ये मानता हूं कि जब सरकार नया बिल पारित करती है या कोई नया नियम अथवा नीति लागू करती है, तो उसके सामाजिक, राजनीतिक एवं आर्थिक प्रभावों के बारे में पहले विश्लेषण करती है। तात्पर्य यह है कि किसी भी नीति या नियम का सार्वजनिक हित में होना उसकी सबसे बड़ी कसौटी है। अत: जब कोई बिल या नियम इस कसौटी पर खरा उतरता है तभी उसे लागू किया जा सकता है। लेकिन हमारी सरकार ने इस बिल को लागू करने से पहले कोई भी विश्लेषण या रिसर्च नहीं की, बस लागू कर दिया गया। यदि इस पर कोई रिसर्च की गई होती तो कैबिनेट में ही इसे मंजूरी नहीं मिलती। प्रमोशन में आऱक्षण का बिल किसी जल्दबाजी का परिणाम प्रतीत हो रहा है। यह सरकार द्वारा अपना वोट बैंक बड़ाने का महज एक स्टंट मालूम पड़ रहा है। 
आरक्षण के बारे में मैं इतना ही जानता हूं कि आरक्षण माने पहले से तय या “fix”। व्यक्तिगत तौर पर मैं यह मानता हूं कि यदि यह बिल लागू होता है तो तथाकथित दलित एवं पिछड़ा वर्ग उबरने के बजाए और पिछड़ जाएगा। यदि किसी के लिए पदोन्नति पहले से ही तय कर दी जाए तो कोई पागल ही होगा जो मेहनत करेगा। जो लोग इस तरह के आरक्षण के पक्ष में है, मेरी उनसे गुजारिश है कि आप खुद ही बताए कि क्या जिंदगी नीरस नहीं हो जाएगी यदि "हमारी" तरक्की ही “fix” हो जाए।