Mar 2, 2013

धोखेबाजों और कालाबाजारों की सरकार


सरकार की नीतियों पर बड़ा ताज्जुब होता है...आज सरकार ने डीजल के थोक मूल्य बड़ा दिए...बीते दिन तेल कंपनियों ने पेट्रोल पर 1.40 रुपए बढ़ाए थे...और आज डीजल पर 1 रुपया बढ़ा दिया...इसी बीच सरकार ने सहानुभूति स्वरूप रसोई गैस सिलेंडर सस्ता कर दिया है...बिना सब्सिडी वाले सिलेंडर के दाम 37.50 रुपए कम कर दिए गए हैं...बात यदि महंगाई की करें तो सरकार बार-बार कहती है कि हम महंगाई से निपटने की कोशिश कर रहे हैं...लेकिन कोई तरीका नहीं निकाल सकी है हमारी सरकार...क्या कारण है कि इतने उच्च स्तर के अर्थशास्त्री इस सरकार में होने के बावजूद कोई हल नहीं निकल रहा है...जहां तक मुझे लगता है और जितना मैं अपना विवेक लगा पाया हूं महंगाई बढ़ने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका तेल(ईंधन) की है...डीजल का सीधा संबंध यातायात और उन किसानों से है जिनसे हमारा देश चलता है...क्योंकि किसान अनाज पैदा करते हैं और यातायात के माध्यम से यह अनाज जरूरतमंद क्षेत्रों में पहुंचाया जाता है...यदि बात करें पेट्रोल की तो पेट्रोल भी आज किसान की जरूरत बन चुका है...डीजल और पेट्रोल में बढोत्तरी का असर हर तरह की चीजों पर पड़ता है...स्पष्ट है कि महंगाई बढ़ेगी...और हमारी सरकार ने इनके दाम को तय करने का अधिकार तेल कंपनियों को दे दिया है...
उस पर आज का निर्णय तो और भी हास्यास्पद और अतार्किक लगता है...जनता समझेगी कि पेट्रोल, डीजल महंगा हुआ तो सरकार ने सिलेंडर सस्ता कर दिया, तो सरकार हमारी हितैषी है...शायद सरकार की इस निर्णय के पीछे यही सोंच रही होगी...मगर यह फैसला जनहित का नहीं है बल्कि सरकार ने  यह साजिश रची है आम आदमी के खिलाफ...क्योंकि सरकार ने बिना सब्सिडी वाले सिलेंडर के दाम कम किए हैं...जबकि सब्सिडी वाले सिलेंडर पर दाम घटाने चाहिए थे यदि सरकार वास्तव में भारत की आम-जनता के हित में कोई फैसला करना चाहती थी...क्योंकि जमीनी हकीकत की यदि बात करें तो जब से रसोई गैस की सब्सिडी खत्म की गई है 70 फीसदी लोग अब सातवां सिलेंडर नहीं खरीदते वो 6 सिलेंडर में ही अपना गुजारा करने की कोशिश करते हैं...कुछ लोग जो थोड़े ऊंचे स्तर के हैं वो कोशिश करते हैं कि बिना सब्सिडी वाले सिलेंडर कम से कम खरीदने पड़ें...ऐसे में बिना सब्सिडी के सिलेंडर के मूल्य घटाकर सरकार किसका फायदा करना चाहती है...हम आप और सरकार सभी ये बखूबी जानते हैं कि LPG सिलेंडर की कालाबाजारी किस हद तक व्याप्त है...गाड़ियों में...हलवाई की दुकान पर...शादियों में  दुकानदार द्वारा छोटे सिलेंडरों को रीफिल करने में और ना जाने कहां-कहां बिना सब्सिडी के सिलेंडर का दुरुपयोग किए जाते हैं...लेकिन बिना सब्सिडी का सिलेंडर आम आदमी की रोटी नहीं बनाता...बल्कि जला देता है...और जली हुई रोटी तो आप जानते ही हैं कि कैसी लगती है...