Mar 13, 2013

बहुत याद आती है......


आज ऑफिस जाते समय रास्ते में एक ऑटो देखकर अपने एक दोस्त की याद आ गई। मेरा दोस्त गौरव ऑटो चलाता है, गाजियाबाद में सिहानी गांव से पुराना बसअड्डा। गौरव से मेरी दोस्ती 2010 में हुई थी जब मैं पत्रकारिता के प्रथम वर्ष में था। अगले 2 साल तक हमने खूब मस्ती की। हम रोज मिलते थे क्योंकि कॉलिज जाने के लिए मुझे रोज बसअड्डा जाना पड़ता था। अगर कॉलिज बाइक से भी जाता तो वापस आते समय बाइक सीधी बसअड्डे पर ही रुकती थी।गौरव ने 2 साल में कभी भी मुझसे किराया नहीं लिया साथ ही किसी और ऑटो में भी नहीं बैठने नहीं देता था। वैसे तो मेरे पे कभी किसी की जबरदस्ती नहीं चली। यहां तक कि मेरी महिला मित्रों की भी नहीं। लेकिन गौरव की जबरदस्ती के आगे मैं कुछ भी नहीं कर पाता था। इन दो सालों में गौरव ने मुझे एक भी सिगरेट नहीं खरीदने दी। इतना ही नहीं अपने तथाकथित आत्मसम्मान को मैं गौरव के सामने कभी नहीं रख पाता था।
गौरव को देखकर मैं उससे मिले बिना नहीं रह पाता था। जब मैं पासआउट होने के बाद हमारा रोज-रोज मिलना बंद हो गया। रास्ते में अगर गौरव कहीं मिल जाता था तो मैं अपनी यू-टर्न लेकर उसका पीछा करता था। वैसे ही वो भी मेरा पीछा करने लग जाता था अगर मैं दिख जाऊं रास्ते में कहीं। वो ऑटो से भी मुझे अक्सर पकड़ ही लेता था क्योंकि वो ऑटो भी बहुत तेज चलाता था और फिर हम सिगरेट पीते थे और चल देते थे अपने रास्ते पर, ये कहकर कि...मिलते हैं......हम दोनो को गानो का बहुत शौक है और हमारी गानों की पसंद भी एक जैसी ही है। उसके ऑटो में लगे सोनी के म्यूजिक सिस्टम पर हम तेज आवाज में हनी सिंह, जजी बी और इमरान खान जैसे सिंगर्स के गाने खूब सुनते थे। जिससे लड़कियां अक्सर गुस्सा हो जाती थी।उसके पास मोबाइल नहीं है और उसके अंदर खासियत है कि वो किसी को कॉल भी नहीं करता है...मुझे भी नहीं। मगर फिर भी उसने मेरा नंबर अपने ऑटो पर सुई से उकेर रखा था। मुझे उसकी बहुत याद आ रही है। प्लीज गौरव किसी का मोबाइल मांगकर उस नंबर पर एक मिस कॉल कर दे मेरे यार...प्लीज!!!!!!!!!!